नहीं रहेंगे
हमेशा खाली हाथ
लगाओ गोता
मिलती कहां
दिली आपसदारी
है आजकल
तुझे देखते
आंखे नहीं अघातीं
चांद चेहरा
ज़ुबानी घोड़ा
है सरपटा दौड़ा
खींचो लगाम
मन है चंगा
तो कठौती में प्यारे
मिलेगी गंगा
ऐसे मनाएं
अबके गणतंत्र
सुधारें तंत्र
लगा दो मुझे
प्रियतम अपने
प्रेम का इत्र
क्या था बनाया
समझ नहीं आया
"मार्डन-आर्ट"
-हेमन्त रिछारिया
हमेशा खाली हाथ
लगाओ गोता
मिलती कहां
दिली आपसदारी
है आजकल
तुझे देखते
आंखे नहीं अघातीं
चांद चेहरा
ज़ुबानी घोड़ा
है सरपटा दौड़ा
खींचो लगाम
मन है चंगा
तो कठौती में प्यारे
मिलेगी गंगा
ऐसे मनाएं
अबके गणतंत्र
सुधारें तंत्र
लगा दो मुझे
प्रियतम अपने
प्रेम का इत्र
क्या था बनाया
समझ नहीं आया
"मार्डन-आर्ट"
-हेमन्त रिछारिया
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