मेरी कविता
Poyems by Hemant Richhariya
बुधवार, 24 सितंबर 2008
वो समझे मेरी शरारत है
कांटों में उलझा था दामन
वो समझे मेरी शरारत है
सबा ने छीनी थी चिलमन
वो समझे मेरी शरारत है
तसव्वुर ए शबे वस्ल में खुद बेचैन हो उठे वो
तेज़ हो गई जो धड़कन वो समझे मेरी शरारत है
इश्क कि बातों को अब कौन उन्हें समझाए
पेश आ रही गर उलझन वो समझे मेरी शरारत है
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