मेरी कविता
Poyems by Hemant Richhariya
सोमवार, 12 मई 2008
हाईकु
पीर दिल की
कहने बह चले
नि:शब्द आंसू
एक इशारा
जिसपे दिल हारा
तुम्हारा ही था
हो गई विदा
जग से; पर हुआ
महामिलन
कैसा विरोध
राम रहीम कौन
ज़रा सा बोध
सरिता मांगे
अपना हिस्सा आज
खामोश व्योम
कैसा लगता
सपनों के शहर
आकर तुम्हे
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